गुरुग्राम निगम में शहरी निकाय स्वामित्व योजना भ्रष्टाचार, क्लर्क हड़ताल पर आईडी चालु किस्त 3
सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने व्यापारियों को एक नायाब तोहफा देते हुए शहरी निकाय स्वामित्व योजना लागू की थी। जिसमें इस योजना के तहत सदर बाजार की सड़कों पर अवैध कब्जे संज्ञान में आने के बाद भी बरकरार रखते हुए नगर निगम गुरुग्राम के अधिकारीयो ने दरखास्तों को मंजूरी दे दी गई, कन्वेंस डिड करवाई, जाली इकरारनामो पर प्रॉपर्टी बेची गई। वहीं एक ही एप्लीकेशन पर कई-कई प्रॉपर्टी बेची इसी बीच अप्रैल 2022 में नगर निगम के जेडटीओ और अन्य कर्मचारीयों पर भ्रष्टाचार के आरोपों में एक शहरवासी की शिकायत पर कार्रवाई हुई, जिसमें एक बीजेपी नेता का भी नाम सामने आया था, जिसमें शिकायतकर्ता का नाम व पता सही न मिलने पर एक सरकार के आदेश अनुसार मामले को बंद कर दिया गया। लेकिन दिखावे के लिए जेडटीओ दिनेश कुमार के सर पर ठीकरा फोड़ दिया। उसके खिलाफ युएलबी को रिपोर्ट भेज दी। तथा उसका तबादला भी मई 2022 में फरीदाबाद कर दिया गया। लेकिन जेडटीओ के जाने के बाद भी निगम में भ्रष्टाचार की गंगा रुकी नहीं थी। दिनेश कुमार ने तो एक दुकान ही अपने बेटे के नाम कराई थी परंतु नगर निगम गुरुग्राम में कम से कम 11 ऐसी फाइल है जिन पर आवेदक के बजाए अन्य लोगों को प्रॉपर्टी सेल की गई है जिनमें से अधिसंख्यक दिनेश कुमार के नगर निगम गुरुग्रामसे जाने के बाद की है और उनमें से कुछ एप्लीकेशन तो ऐसी हैं की एक-एक एप्लीकेशन पर दो- तीन प्रॉपर्टी तक भी दे दी गई है वहीं इस योजना की फाइलों पर आईडी किसी और क्लर्क की चल रही है और कार्य कोई और कर्मचारी कर रहा है, एक कर्मचारी जो की 5 जुलाई 2023 से 15 अगस्त 2023 तक चली क्लर्कों की हड़ताल में शामिल रहा 42 दिनों तक हड़ताल पर रहा गैर हाजिर रहा उसकी गैर हाजिरी का पता शाहरी निकाय विभाग को भी है, परंतु उस बीच में उसकी आईडी चलती रही फाइलों पर उसकी आईडी से इस योजना के तहत आवेदनों पर रिपोर्ट होती रही और अधिकारी फाइलों को पास कर कार्रवाई करते रहे। जबकि आईडी शेयर के मामले में भारत की संसद में तो सांसद की सदस्यता तक रद्द हो जाती है, परंतु नगर निगम में कुछ नहीं होता हैं, जबकि लिपिकों की हड़ताल से काफी राजस्व का नुकसान हुआ था। हरियाणा में किसी भी सरकारी योजना का लाभ परिवार पहचान पत्र आईडी से ही कोई व्यक्ति प्राप्त कर सकता है, जिससे कि उसकी आइडेंटी क्लियर होती है तो कैसे आवेदन लगने के बाद भी नाम बदल दिए गए ,उनके फोन नंबर बदल गए। यह सब खेल निगम अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के कारण खेला है। जिसमें क्लर्क, जेडटीओ, एचसीएस अधिकारी की भूमिका काफी संदेह के घेरे में आ रही है। जिसके कार्यकाल में यह सब गोलमोल हुए हैं। जिसकी सरकार को विजिलेंस के किसी ईमानदार अधिकारी से तथ्यों सहित जांच करवानी चाहिए।
जबकि निगमायुक्त नरहरी सिंह बांगड़ की तरफ जारी एक प्रेस नोट के माध्यम से इस योजना में जमकर हुएं भ्रष्टाचार की गहनता से जांच बारे कहा गया है। तथा दिनेश कुमार जेडटीओ की भूमिका बारे बताया गया है, जबकि दिनेश के तबादले के बाद के लिए एक भी शब्द नहीं कहा गया है। जबकि यह सब गोल मोल (भ्रष्टाचार) उनके निगमायुक्त का पदभार संभालने के पहले हुएं हैं।